आज मैं जो भी हूँ इन्हीं के वज़ह से हूँ।। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर अपने गुरुदेव के चरणों में सादर नमन। धीरजकांत, धीरजकांत सिंगर, धीरजकांत गायक, गायक धीरजकांत, Dhirajkant, Singer Dhirajkant, Dhirajkant Singer
वक़्त का ये परिंदा रुका है कहाँ, मैं था पागल जो इसको बुलाता रहा।। चार पैसे कमाने मैं आया शहर, गाँव मेरा मुझे याद आता रहा।। ख़ास कर जो परदेस में रहते हैं, वो इस ग़ज़ल को ज़रूर सुनें और शेयर करें... कार्यक्रम के लिए संपर्क करें- 8010788843
सही मायने में अगर जीवन जीना है तो सुबह अपने शरीर के लिए 1 से 2 घंटे का समय निकालना हीं होगा। खुशी की बात है कि अब मेरा वज़न 101 Kg से कम हो कर 92 Kg हो गया है। धीरजकांत, धीरजकांत सिंगर, धीरजकांत गायक, गायक धीरजकांत, Dhirajkant, Singer Dhirajkant, Dhirajkant Singer
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